* पाठ :- भक्तों के भगवान
१. भिखारी और लरोडपति में से आप किसे श्रेष्ठ मानते हैं ? क्यों ?
उत्तर :- भिखारी और लरोडपति में से भिखारी को हम श्रेष्ठ मानते हैं । क्योंकि
भिखारी ने भीख माँगने पर भी करोडपति ने पैसे नहीं दिए, लेकिन उसी करोडपति को
भिखारी ने अपनी जान की परवाह किए बिना मोटर दुर्घटना से बचाया । व्यापार में नफा
होने से करोडपति भगवान को कोसता है, वही भिखारी अपनी परिस्थिति के लिए भगवान से
प्रार्थना करता है ।
२. भिखारी को भगवान की लीला क्यों अजीब लगी ?
उत्तर:- जो करोडपति भीख माँगने पर कुछ नहीं देता वही अपनी जान बचाने पर भिखारी
को एक सौ रुपये देता है । सबको अपने प्राण प्रिय होते हैं । जो करोडपति पहले भगवान
को कोसता हुआ पत्थर कहा था, भिखारियों को दूर हटने को कहता था अब वह इनसान में भी
भगवान को देख रहा है । इसलिए भिखारी को भगवान की लीला अजीब लगी ।
* पाठ :- वृक्ष प्रेमी तिम्मक्का
१. पर्यावरण संरक्षण में तिम्मक्का का क्या योगदान है ?
उत्तर :- पर्यावरण संरक्षण में तिम्मक्का का योगदान अप्रतिम है - जानवरों के लिए तिम्मक्का
दंपत्ति ने पीने के पानी का इंतजाम किया । तिम्मक्का ने बरगद के डालों को रास्ते
के दोनों ओर लगाये । उन पेडों की भेड-बकरियों से रक्षा करने की व्यवस्था की ।
उन्हें अपने बच्चों की तरह प्रेम से पाला-पोसा ।
२. तिम्मक्का को किन-किन पुरस्कारों से अलंकृत किया गया है ?
उत्तर :- तिम्मक्का को अनेक पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है जैसे कि-
नाडोज पुरस्कार, राष्ट्रीय नागरिक पुरस्कार, इंदिरा प्रियदर्शिनी वृक्ष मित्र, वीर
चक्र, कर्नाटक कल्पवल्ली, गाड फ्री फिलिप्स धैर्य पुरस्कार, विशालाक्षी पुरस्कार,
कर्नाटक सरकार के महिला और शिशु कल्याण विभाग के द्वारा सम्मान पत्र आदि ।
३. तिम्मक्का एक आदर्श व्यक्तित्व हैं । कैसे ?
उत्तर :- तिम्मक्का एक आदर्श व्यक्तित्व हैं ।
क्योंकि -
१.संतान न होने के करण तिम्मक्का मन छोटा किए बिना
दत्तक पुत्र को गोद ले लिया ।
२.रास्ते के दोनों तरफ बरगद के पेड लगाकर पर्यावरन
संरक्षण का बीडा उठाया ।
३.अपने पति की याद में तिम्मक्का ने हुलिकल ग्राम
में गरीबों की नि:शुल्क चिकित्सा के लिए एक अस्पताल के निर्माण करने का संकल्प
किया है ।
४.तिम्मक्का दीन-दलितों की सेवा के लिए पुरस्कार के
रुप में आयी धनराशि को समर्पित कर रही है । पर्यावरण संरक्षण के साथ तिम्मक्का और
अन्य सामाजिक काम भी कर रही है ।
* पद्य:- मातृभूमि
१.भारत माँ के प्रकृति-सौंदर्य का वर्णन कीजिए ।
उत्तर :- भारत के खेत हरे-भरे सुंदर हैं ।फल-फूलों
से युक्त हैं यहाँ के वन-उपवन । भारत भूमि के अंदर व्यापक खनिज संपत्ति भरा हुआ है
। सुख-संपत्ति, धन-धाम को माँ मुक्त हस्त से बाँट रही हैं । ऐसी अपूर्व है भारत
माँ का प्रकृति-सौंदर्य ।
२. मातृभूमि का स्वरुप कैसे सुशोभित है ?
उत्तर :- भारत माँ के एक हाथ में न्याय-पताका है, और
दूसरे हाथ में ज्ञान-दीप है। जग के रुप को बदलने के लिए कवि भारत माँ से निवेदन कर
रहे हैं । आज माँ के साथ कोटि-कोटि भारत की जनता है । सभी ओर शहर और गाँवों में जय
हिन्द का नाद गूँज उठा है । इस तरह मातृभूमि का स्वरुप सुशोभित है ।
* पद्य:- तुलसी के
दोहे
* भावार्थ लिखिए :-
१.मुखिया मुख सों चाहिए, खान पान को एक ।
पालै पोसै सकल अँग, तुलसी सहित विवेक ॥
भावार्थ :- तुलसीदास जी कहते हैं कि मुखिया मुख के
समान होना चाहिए जो खाने-पीने को तो अकेला है, लेकिन विवेकपूर्वक सब अंगों का पालन-पोषण करता है |
२. तुलसी साथी विपत्ति के विद्या विनय विवेक ।
सहस सुकृति सुसत्यव्रत राम भरोसो एक ॥
भावार्थ :- तुलसीदास के अनुसार विपत्ति के साथी
विद्या, विनय और विवेक है । जो राम पर भरोसा करता है वह साहसी, सत्यव्रती और
सुकृतवान बनता है ।
No comments:
Post a Comment