Monday 2 January 2017

निबंध लेखन-हिंदी वल्लरी 10 वीं कक्षा

१. महंगार्इ: एक समस्या
*  प्रस्तावना :- महंगार्इ आज हर किसी के मुख पर चर्चा का विषय बन चुका है। विष्व का हर देष इस से ग्रसित होता जा रहा है। भारत जैसे विकासषील देषों के लिए तो यह चिंता का विषय बनता जा रहा है। महंगार्इ ने आम जनता का जीवन अत्यन्त दुष्कर कर दिया है। आज दैनिक उपभोग की वस्तुएं हों अथवा रिहायशी वस्तुएं, हर वस्तु की कीमत दिन-व-दिन बढ़ती और पहुंच से दूर होती जा रही है।
* महंगार्इ के कारण :- महंगार्इ के कारण हम अपने दैनिक उपभोग की वस्तुओं में कटौती करने को विवष होते जा रहे हैं। कुछ वर्ष पूर्व तक जहां साग-सबिजयां कुछ रूपयों में हो जाती थीं, आज उसके लिए लोगों को सैकड़ों रूपये चुकाने पड़ रहे हैं। वेतनभोगियों के लिए तो यह अभिषाप की तरह है। महंगार्इ की तुलना में वेतन नहीं बढ़ने से वेतन और खर्च में सामंजस्य स्थापित नहीं हो पा रहा है। ऐसे में सरकार को हस्तक्षेप करके कीमतों पर नियंत्रण रखने के दूरगामी उपाय करना चाहिए। सरकार को महंगार्इ के उन्मूलन हेतू गहन अध्ययन करना चाहिए और ऐसे उपाय करना चाहिए ताकि महंगार्इ डायन किसी को न सताए।
* उपसंहार :- महंगाई के लिए तेजी से बढ़ती जनसंख्या, सरकार द्वारा लगाए जाने वाले अनावष्यक कर तथा मांग की तुलना में आपूर्ति की कमी है। बेहतर बाजार व्यवस्था से कुछ हद तक मुकित मिलेगी। पेटोलियम उत्पाद, माल भाड़ा, बिजली आदि जैसीे मूलभूत विषयों पर जब-तब बढ़ोतरी नहीं करना चाहिए। इन में वृद्धि का विपरित प्रभाव हर वस्तु के मूल्य पर पड़ता है। सरकार की चपलता ही महंगार्इ को नियंत्रित कर सकती है।
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२. स्वच्छ भारत अभियान
* प्रस्तावना :- राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने भारत की स्वतंत्रता से पहले अपने समय के दौरान "स्वच्छता आजादी से अधिक महत्वपूर्ण है" कहा था। वे भारत के बुरे और गन्दी स्थिति से अच्छी तरह परिचित थे| उन्होंने भारत के लोगों को साफ-सफाई और स्वच्छता के बारे और इससे अपने दैनिक जीवन में शामिल करने पे बहोत जोर दिया था। हालांकि यह लोगो के कम रूचि के कारण असफल रहा। भारत की आजादी के कई वर्षों के बाद, सफाई के प्रभावी अभियान के रूप में इसे आरम्भ किया गया है और लोगो के सक्रिय भागीदारी चाहती है जिससे इस मिशन को सफलता मिले।
* स्वच्छ भारत अभियान की महता :- भारत के राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने जून 2014 में संसद को संबोधित करते हुए कहा कि "एक स्वच्छ भारत मिशन शुरू किया जाएगा जो देश भर में स्वच्छता, वेस्ट मैनेजमेंट और स्वच्छता सुनिश्चित करने के लिए होगा। यह महात्मा गांधी की 150 वीं जयंती पर 2019 में हमारे तरफ से श्रद्धांजलि होगी"। महात्मा गांधी के सपने को पूरा करने और दुनिया भर में भारत को एक आदर्श देश बनाने के क्रम में, भारत के प्रधानमंत्री ने महात्मा गांधी के जन्मदिन (2 अक्टूबर 2014) पर स्वच्छ भारत अभियान नामक एक अभियान शुरू किया। इस अभियान के पूरा होने का लक्ष्य 2019 है जो की महात्मा गांधी की 150 वीं जयंती है|
इस अभियान के माध्यम से भारत सरकार वेस्ट मैनेजमेंट तकनीकों को बढ़ाने के द्वारा स्वच्छता की समस्याओं का समाधान करेगी। स्वच्छ भारत आंदोलन पूरी तरह से देश की आर्थिक ताकत के साथ जुड़ा हुआ है। महात्मा गांधी के जन्म की तारीख मिशन के शुभारंभ और समापन की तारीख है। स्वच्छ भारत मिशन शुरू करने के पीछे मूल लक्ष्य, देश भर में शौचालय की सुविधा देना, साथ ही दैनिक दिनचर्या में लोगों के सभी अस्वस्थ आदतो को समाप्त करना है। भारत में पहली बार सफाई अभियान 25 सितंबर 2014 में शुरू हुयी और इसका आरम्भ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा सड़क की सफाई से की गयी|
* उपसंहार :- इस मिशन की सफलता परोक्ष रूप से भारत में व्यापार के निवेशकों का ध्यान आकर्षित करना, जीडीपी विकास दर बढ़ाने के लिए, दुनिया भर से पर्यटकों को ध्यान खींचना, रोजगार के स्रोतों की विविधता लाने के लिए, स्वास्थ्य लागत को कम करने, मृत्यु दर को कम करने, और घातक बीमारी की दर कम करने और भी कई चीजो में सहायक होंगी। स्वच्छ भारत अधिक पर्यटकों को लाएगी और इससे आर्थिक हालत में सुधार होगी। भारत के प्रधानमंत्री ने हर भारतीय को 100 घंटे प्रति वर्ष समर्पित करने के लिए अनुरोध किया है जोकि 2019 तक इस देश को एक स्वच्छ देश बनाने के लिए पर्याप्त है|
. इंटरनेट
* प्रस्तावना :- आधुनिक समय में, पूरी दुनिया में इंटरनेट एक बहुत ही शक्तिशाली और दिलचस्प माध्यम बनता जा रहा है। ये एक नेटवर्कों का नेटवर्क है और कई सारी सेवाओं तथा संसाधनों का समूह है जो हमें कई प्रकार से लाभ पहुँचाता है। इसके इस्तेमाल से हमलोग कहीं से भी वर्ल्ड वाइड वेब तक पहुँच सकते है। ये हमें बड़ी तादाद में सुविधा मुहैया कराता है जैसे-ईमेल, सर्फिंग सर्च इंजन, सोशल मीडिया के द्वारा बड़ी हस्तियों से जुड़ना, वेब पोर्टल तक पहुँच, शिक्षाप्रद वेबसाइटों को खोलना, रोजमर्रा की सूचनाओं से अवगत रहना, विडियो बातचीत आदि। ये सभी का सबसे अच्छा दोस्त बनता है।
* इंटरनेट की महता :- आधुनिक समय में लगभग हर कोई इंटरनेट का इस्तेमाल विभिन्न उद्देश्यों के लिये कर रहा है। जबकि हमें अपने जीवन पर इससे पड़ने वाले फायदे-नुकसान के बारे में भी जानना चाहिये। विद्यार्थीयों के लिये इसकी उपलब्धता जितनी लाभप्रद है उतनी ही नुकसानदायक भी क्योंकि बच्चे अपने माता-पिता के चोरी से इसके माध्यम से गलत वेबसाइटों का भी इस्तेमाल करते है जोकि उनके भविष्य को नुकसान पहुँचा सकता है। ज्यादातर माता-पिता इस खतरे को समझते है लेकिन कुछ इसे नज़रअंदाज कर देते है और खुलकर इंटरनेट का इस्तेमाल करते है। इसलिये घर में बच्चों द्वारा इंटरनेट का इस्तेमाल अभिवावकों की देखरेख में होनी चाहिये। अपने कम्प्यूटर सिस्टम में पासवर्ड और प्रयोक्ता नाम डाल कर अपने खास डाटा को दूसरों से सुरक्षित रख सकते है। इंटरनेट हमें किसी भी ऐप्लिकेशन प्रोग्राम के द्वारा अपने दोस्त, माता-पिता और शिक्षकों को किसी भी क्षण संदेश भेजने की आजादी देता है। ये जान कर हैरानी होगी कि उत्तरी कोरिया, म्यांमार आदि कुछ देशों में इंटरनेट पर पाबंदी है क्योंकि वो इसे बुरा समझते है।
* उपसंहार :- कभी-कभी इंटरनेट से सीधे-तौर पर कुछ भी डाउनलोड करने के दौरान, हमारे कम्प्यूटर में वाइरस, मालवेयर, स्पाइवेयर, और दूसरे गलत प्रोग्राम जाते है जो हमारे सिस्टम को नुकसान पहुँचा सकते है। ऐसा भी हो सकता है कि हमारे सिस्टम में रखे डाटा को बिना हमारी जानकारी के पासवर्ड होने के बावजूद भी इंटरनेट के द्वारा हैक कर लिया जाये। इंटरने से भी लाभ भी हैं और हानियाँ भी हैं, अब सिर्फ हम निर्भर होता है कि इसका इस्तेमाल कैसे करते हैं।
४. बढती हुई जनसंख्या
* प्रस्तावना :- जनसंख्या किसी भी राष्ट्र के लिए अमूल्य पूंजी होती है, जो वस्तुओं व सेवाओं का उत्पादन करती है, वितरण करती है और उपभोग भी करती है । जनसंख्या देश के आर्थिक विकास का संवर्द्धन करती है । इसीलिए जनसंख्या को किसी भी देश के साधन और साध्य का दर्जा दिया जाता है । लेकिन अति किसी भी चीज की अच्छी नहीं होती । फिर चाहे वह अति जनसंख्या की ही क्यों न हो ? वर्तमान में भारत की जनसंख्या वृद्धि इसी सच्चाई का उदाहरण है ।

* जनसंख्या वृद्धि की समस्या :- जनसंख्या वृद्धि के कारण पूरे देश की दो तिहाई शहरी आबादी को २०३० में शुद्ध पेय जल नसीब नहीं होगा । वर्तमान में पानी की प्रतिवर्ष प्रति व्यक्ति उपलब्धता जहाँ १५२५ घन मी. है, वहीं २०२५ में यह उपलब्धता मात्र १०६० घन मी. होगी । वर्तमान में प्रति दस हजार व्यक्तियों पर ३ चिकित्सक तथा १० बिस्तर है, २०३० में उनके बारे में सोचना भी मुश्किल होगा । भारत की जनसंख्या वृद्धि के लिए जिम्मेदार राज्यों में आंध्र-प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल देश की कुल आबादी का १४ प्रतिशत योगदान करते हैं तो वहीं महाराष्ट्र, गुजरात इसमें ११ प्रतिशत की वृद्धि करते हैं । जनसंख्या वृद्धि के बोझ का ही यह परिणाम है कि एक तरफ जहाँ हमारी जमीन उर्वरकों के कारण अनउपजाऊ होती जा रही है । पैदावार कम होने के कारण लोग आत्महत्या करने को मजबूर हो रहे हैं ।
विश्व के कृषि भू-भाग का मात्र २.४ प्रतिशत भारत में है जबकि यहाँ की आबादी दुनिया की कुल आबादी का १६.७ प्रतिशत है । विश्व में सबसे पहले १९५२ में आधिकारिक रूप से जनसंख्या नियंत्रण हेतु परिवार नियोजन कार्यक्रम को अपनाया ।
* उपसंहार :- जनसंख्या वृद्धि की गति से मानव की आवश्यकताओं और संसाधनों की पूर्ति करना असंभव होता जा रहा है । इससे जीवन मूल्यों में गिरावट आ रही है । अमीर और अमीर होते जा रहे हैं, गरीब और गरीब । अमीर-गरीब के बीच की खाई गहराती जा रही है । पर्यावरण विषाक्त करने में भी जनसंख्या एक प्रमुख कारण है । इन सारी बातों पर गौर करें तो यही निष्कर्ष निकलकर आता है कि जनसंख्या पर नियंत्रण युद्ध स्तर पर करना होगा ।
५. बेरोजगारी
प्रस्तावना :- उस विशेष अवस्था को, जब देश में कार्य करनेवाली जनशक्ति अधिक होती हैं किंतु काम करने के लिए राजी होते हुए भी बहुतों को प्रचलित मजदूरी पर कार्य नहीं मिलता, बेरोजगारी (Unemployment) की संज्ञा दी जाती है। ऐसे व्यक्तियों का जो मानसिक एवं शारीरिक दृष्टि से कार्य करने के योग्य और इच्छुक हैं परंतु जिन्हें प्रचलित मजदूरी पर कार्य नहीं मिलता, उन्हें बेकार कहा जाता है। मजदूरी की दर से तात्पर्य प्रचलित मजदूरी की दर से है और मजदूरी प्राप्त करने की इच्छा का अर्थ प्रचलित मजदूरी की दरों पर कार्य करने की इच्छा है। यदि कोई व्यक्ति उसी समय काम करना चाहे जब प्रचलित मजदूरी की दर पंद्रह रुपए प्रतिदिन हो और उस समय काम करने से इन्कार कर दे जब प्रचलित मजदूरी बारह रुपए प्रतिदिन हो, ऐसे व्यक्ति को बेकार अथवा बेरोजगारी की अवस्था से त्रस्त नहीं कहा जा सकता।
* बेरोजगारी समस्या का असर :- भारत एक विशाल जनसंख्या वाला राष्ट्र है. जनसंख्या जितनी तेजी से विकास कर रही है, व्यक्तियों का आर्थिक स्तर और रोजगार के अवसर उतनी ही तेज गति से गिरते जा रहे हैं. भारत जैसे विकासशील राष्ट्र के लिए यह संभव नहीं है कि वह इतनी बड़ी जनसंख्या को रोजगार दिलवा सके. रोजगार की तलाश में दिन-रात एक कर रहे व्यक्तियों की संख्या, साधनों और उपलब्ध अवसरों की संख्या से कहीं अधिक है. यही कारण है कि आज भी अधिकांश युवा बेरोजगारी में ही जीवन व्यतीत करने के लिए विवश हैं. बेरोजगारी से जुड़ा मसला केवल बढ़ती जनसंख्या तक ही सीमित नहीं है. हमारी व्यवस्था और उसमें व्याप्त कमियां भी इसके लिए प्रमुख रूप से उत्तरदायी हैं. भ्रष्टाचार ऐसी ही एक सामाजिक और नैतिक बुराई है, जिसका अनुसरण हमारी सरकारें और व्यवस्था बिना किसी हिचक के करती हैं. पैसे के एवज में अवसरों की दलाली करना या भाई-भतीजावाद के फेर में पड़ते हुए अपने संबंधियों को स्थान उपलब्ध करवाना कोई नई बात नहीं, बल्कि हमारी सोसाइटी की एक परंपरा है. जिसका कुप्रभाव योग्य व्यक्तियों और उनकी काबिलियत पर पड़ता हैं. परिणामस्वरूप कई युवा विवश होकर अपने परिवार के लिए अनैतिक कृत्यों में लिप्त हो जाते हैं। इतना ही नहीं विकास और औद्योगीकरण के नाम पर हमारी कल्याणकारी सरकारें बहुराष्ट्रीय कम्पनियों व बड़े पूंजीपतियों के लिए गरीब खेतिहर किसानों से बहुत थोड़े मूल्य पर भूमि का अधिग्रहण करने से भी पीछे नहीं हटतीं. उनका कहना यह है कि अधिग्रहित भूमि बंजर है, जबकि वास्तविकता यह है कि जो भूमि उस किसान और उसके पूरी परिवार को रोजगार उपलब्ध करवाती थी, वह बंजर कैसे हो सकती है।
उपसंहार :- वास्तव में बेरोजगारी कि समस्या एक दानव की तरह हमारे देश के नवयुवकों को खा रही हैI भारत में बढ़ती बेरोजगारी को, जनसंख्या, बड़े पैमाने पर व्याप्त अशिक्षा और भ्रष्टाचार समान रूप से बल प्रदान कर रहे हैं. इसी कारण देश में आपराधिक वारदातों से संबंधित आंकड़ा भी दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है. अगर संजीदा होकर इन सभी कारकों में से एक को भी घटाने का प्रयास किया जाए, तो बेरोजगारी की समस्या को समाप्त करना आसान हो सकता है।

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