Saturday 31 October 2015

"आधी छोड़ सारी को धावे, आधी रहे न सारी पावे- 1"

     नागवाला एक गाँव था, उसमें नागण्णा नामक एक खेतिहर था। उसके पास केवल एक एकड़ ज़मीन थी। कुछ खेती हुई तो ठीक, नहीं तो जंगल में जाकर लकड़ी का सौदा करके जीवनयापन करना पड़ता था।

     एक बार अच्छी वर्षा हुई। सभी खेतिहर अपने-अपने खेत में अपनी-अपनी इच्छानुसार बोआई की। पड़ोसी गाँव के मुखिया ने अपने खेत से बचे बुआई योग्य ईख के टुक़डे दिये। नागण्णा नामक कृषक अपने खेत में ईख के टुकड़े बुआई की । अच्छी तरह फसल निकली। इसे देखकर कृषक ने फूल न समाया।

     एक दिन किसान प्रातःकाल खेत की ओर निकला तो देखा कि फसल के एक कोने में, ईख काटकर कोई खाकर नाश किया था। दूसरे दिन जाकर देखा कि फसल के दूसरे कोने में नाश हुआ था। इसे देखकर खेतिहर को बहुत दुख हुआ। इसको पता लगाने की दृष्टि से उसी रात में खेत के एक कोऩे में बैठकर इंतज़ार करने लगा।

      आधीरात में एक ऐरावत आकर ईख की फसल खाने लगा। जब इसे देखकर क्रोध से उसको मारने के लिए उसकी पूँछ पकड़ लिया तो तब वह आकाश की ओर तुरंत निकला, खेतिहर भी हाथी के साथ स्वर्ग पहुँचा।

      स्वर्ग की संपत्ति देखकर किसान अपने कुर्ता और घुटन्ना के जेब में भरने लगा। लालच से अपनी वल्ली में भी भरकर कमर में बाँध लिया।

      फिर हाथी निकलते देखकर उसकी पूँछ पकड़ लिया। हाथी सीधा भूलोक के खेतिहर के ईख-खेत में उतरा। तुरंत खेतिहर हाथी छोड़कर घर की ओर नौ दो ग्यारह हो गया। किसान की पत्नी लायी हई संपत्ति को देखकर पूछा- कहाँ से लाये हैं ? किसान ने अपनी पत्नी से सारे विचार कहा। सुनते ही पत्नी ने कहा ऐसा अवसर रहे तो जाइये मैं भी आपके साथ आती हूँ थैली में भरकर आयेंगे कहकर पति से शोर मचा दिया। इससे सारे लोग किसान के घर में आ गये । यह समाचार पड़ोसियों को भी पता चला। गाँव के लोग हम भी तुम्हारे पैर पकड़कर आते हैं और कुछ पैसे लाकर आराम से जीवनयापन कर सकते हैं कहने लगे।

      किसान को अपनी पत्नी के व्यवहार से एक ओर शर्म हुआ तो दूसरी ओर लोगों की याचना एक तरह से सिर दर्द का विषय बन गया।

       बिना विधि पूर्वक, आधीरात में गाँव के लोगों के साथ खेत के पास खेतिहर इंतजार करने लगा। ऐरावत आ गया। तुरंत उनमें से एक कंजूस शेट्टी था। वह मैं पहले कहते हुए, घुसकर हाथी की पूँछ पकड़ा। हाथी भी आकाश की ओर जाने लगा। अन्य सभी लोग एक के पैर दूसरे पकड़ने से आकाश से पृथ्वी तक लोगों का ताँता हुआ। उनमें से एक लँघड़ा था। वह बहुत अंत में था। उसने

       शेट्टी जी आप पहले हैं, स्वर्ग कितने धन लाना चाहते हैं ? इसके उत्तर के लिए लालच से इतना कहकर अपने दोनों हाथों को फैलाया। तत्क्षण ही सभी आकाश से भूमि पर पड़कर मिट्टी बन गये।

       इस घटना को देखनेवाले गाँव के अन्य लोग आधी छोड़ सारी को धावे, आधी रहे न सारी पावे। कहकर साँस छोड़ दिया। ऐरावत उस ओर आने की घटना उन्होंने फिर कभी नहीं देखा।

कन्नड में- डॉ.पी.के राजशेखर

हिंदी में- डॉ.एस.विजीचक्केरे



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