कन्नड भाषा के ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त दूसरे ज्ञानपीठ साहित्यकार श्री दत्तात्रेय रामचंद्र
बेंद्रे जी हैं।बेंद्रे जी का जन्म 31 जनवरी सन् 1893 ई को धारवाड में हुआ। बेंद्रे जी के पिताजी
रामचंद्र भट्ट और माता अबव्वा या अंबिका। बेंद्रेजी जी की स्कूली शिक्षा धारवाड में विक्टोरिया
स्कूल में हुई। मेट्रिक के बाद पुणे के प्रसिद्ध फर्ग्यूसन कॉलेज से उन्होंने बी.ए. की उपाधि प्राप्ति
की थी। फिर लौटकर विक्टोरिया स्कूल में ही अध्यापक बन गये। पश्चात् नैशनल कॉलेज में
काम किया।सन् 1944 में सोल्लापुर के डी.ए.वी. कॉलेज में कन्नड प्राध्यापकबने। उसके बाद
धारवाड आकाशवाणी केंद्र के साहित्य सलाहकार के रूप में काम किया। 26 अक्तूबर 1981 ई.को
बेंद्रे जी अमर हो गये।
साहित्य साधनाः
काव्यः-
कृष्णकुमारी
मूर्ति मत्तु कामकस्तूरी
उय्याले
नादलीले
मेघदूत
हाडु-पाडु
गंगावतरण सूर्यपान
अरळु-मरळु़
हृदय-समुद्र
मुक्तकांत
चैत्यालय
जीवलहरी
नमन
संचय
उत्तरायण़
मंजुल मल्लिगे
यक्ष-यक्षी
नाकु-तंती
मर्यादे
श्रीमाता
बा हत्तर
इदु नभोवणी
विनय
मत्तेल श्रावण बंतु
ओलवे नम्म बदुकु
चतुरोक्ति
पराकी
काव्य वैखरी
बालबोधे
ता लेखनिके ता दौती
नाटकः
गोल
तिरुकर पिडुगु
सायो आट
जात्रे
हळेय गेणेयरु
देव्वन मने
नगेय होगे
उद्धार
मंदी मादिवी
मंदी मनी
मक्कळु ओडिगेमने होक्करे
शोभन
आतर-ईतर
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